उन भूली बिसरी यादों
और अनकही अधूरी बातों,
की एक यादगार रूपिका
भेंट करता मैं तुम्हें अनामिका,
बदले में चाहता हूँ बस यही
याद कर लेना ऐ यार, हमें भी कभी.
मन के सूने रेगिस्तान पर
जब कभी यादों के काफिले गुजरते हैं,
हमारे तुम्हारे रिश्तों की माधुरी
कुछ आंसू बयान कर जाते हैं
महसूस होता है यार हमें भी अभी
आँखें ही नहीं,दिल भी
रोता है कभी-कभी.
Original Joke
12 years ago
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